Monday, January 20, 2014

...यहाँ बेगाने बहुत है

इस महफ़िल में मेरी बातों के अफ़साने बहुत है ,
इस दुनियाँ में जीने के यकीनन बहाने बहुत हैं,
झूंठे लफ्जों में ही सही, इक बार दोस्त मुझे अपना कह दे,
मुझे देखकर हँसने वाले यहाँ बेगाने बहुत है||

मेरी ख्वाहिश थी ये कि मेरा दर्द कोई कम कर दे,
वैसे तो मेरे शहर में मयखाने बहुत है,
तेरे लिए हम दिल-ओ-जान से हर वकत तैयार रहते है,
तुझ जैसी शमा पर जलने वाले वैसे परवाने बहुत है ||

मुझे देखकर तुम इस तरह हैरान ना होना,
मेरी आँखों पे अश्क अभी आने बहुत है,
आज अपनी दोस्ती का कोई नगमा सुना दो,
जिंदगी की किताब में इसके तराने बहुत है || 

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